लखन जानकी सहित प्रभु राजत रुचिर निकेत
सोह मदनु मुनि बेष जनु रति रितुराज समेत
राम प्रनामु कीन्ह सब काहू मुदित देव लहि लोचन लाहू
बरषि सुमन कह देव समाजू नाथ सनाथ भए हम आजू
करि बिनती दुख दुसह सुनाए हरषित निज निज सदन सिधाए
चित्रकूट रघुनंदनु छाए। समाचार सुनि सुनि मुनि आए
आवत देखि मुदित मुनिबृंदा कीन्ह दंडवत रघुकुल चंदा
मुनि रघुबरहि लाइ उर लेहीं सुफल होन हित आसिष देहीं
सिय सौमित्र राम छबि देखहिं साधन सकल सफल करि लेखहिं
जथाजोग सनमानि प्रभु बिदा किए मुनिबृंद
करहि जोग जप जाग तप निज आश्रमन्हि सुछंद