Thursday, August 28, 2008

पर हित सरिस धर्म नहिं भाई

Hare Rama 
पर हित सरिस धर्म नहिं भाई पर पीड़ा सम नहिं अधमाई
निर्नय सकल पुरान बेद कर कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर

नर सरीर धरि जे पर पीरा करहिं ते सहहिं महा भव भीरा
करहिं मोह बस नर अघ नाना स्वारथ रत परलोक नसाना

कालरूप तिन्ह कहँ मैं भ्राता 
सुभ अरु असुभ कर्म फल दाता

अस बिचारि जे परम सयाने भजहिं मोहि संसृत दुख जाने
त्यागहिं कर्म सुभासुभ दायक भजहिं मोहि सुर नर मुनि नायक
संत असंतन्ह के गुन भाषे ते परहिं भव जिन्ह लखि राखे
सुनहु तात माया कृत गुन अरु दोष अनेक
गुन यह उभय देखिअहिं देखिअ सो अबिबेक
Hare Rama