पर हित सरिस धर्म नहिं भाई पर पीड़ा सम नहिं अधमाई
निर्नय सकल पुरान बेद कर कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर
निर्नय सकल पुरान बेद कर कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर
नर सरीर धरि जे पर पीरा करहिं ते सहहिं महा भव भीरा
करहिं मोह बस नर अघ नाना स्वारथ रत परलोक नसाना
कालरूप तिन्ह कहँ मैं भ्रातासुभ अरु असुभ कर्म फल दाता
अस बिचारि जे परम सयाने भजहिं मोहि संसृत दुख जाने
त्यागहिं कर्म सुभासुभ दायक भजहिं मोहि सुर नर मुनि नायक
संत असंतन्ह के गुन भाषे ते न परहिं भव जिन्ह लखि राखे
सुनहु तात माया कृत गुन अरु दोष अनेक
गुन यह उभय न देखिअहिं देखिअ सो अबिबेक
Hare Rama