जौं केवल पितु आयसु ताता तौ जनि जाहु जानि बड़ि माता
जौं पितु मातु कहेउ बन जाना तौं कानन सत अवध समाना
पितु बनदेव मातु बनदेवी खग मृग चरन सरोरुह सेवी
बड़भागी बनु अवध अभागी जो रघुबंसतिलक तुम्ह त्यागी
जौं सुत कहौ संग मोहि लेहू। तुम्हरे हृदयँ होइ संदेहू
राम उठाइ मातु उर लाई कहि मृदु बचन बहुरि समुझाई
समाचार तेहि समय सुनि सीय उठी अकुलाइ।