Friday, June 8, 2007

बड़भागी बनु अवध अभागी

जौं केवल पितु आयसु ताता तौ जनि जाहु जानि बड़ि माता
जौं पितु मातु कहेउ बन जाना तौं कानन सत अवध समाना
पितु बनदेव मातु बनदेवी खग मृग चरन सरोरुह सेवी

बड़भागी बनु अवध अभागी जो रघुबंसतिलक तुम्ह त्यागी
जौं सुत कहौ संग मोहि लेहू। तुम्हरे हृदयँ होइ संदेहू

राम उठाइ मातु उर लाई कहि मृदु बचन बहुरि समुझाई
समाचार तेहि समय सुनि सीय उठी अकुलाइ।