जनक दूत तेहि अवसर आए मुनि बसिष्ठँ सुनि बेगि बोलाए
करि प्रनाम तिन्ह रामु निहारे बेषु देखि भए निपट दुखारे
सुनत जनक आगवनु सबु हरषेउ अवध समाजु
रघुनंदनहि सकोचु बड़ सोच बिबस सुरराजु
गरइ गलानि कुटिल कैकेई काहि कहै केहि दूषनु देईअस मन आनि मुदित नर नारी भयउ बहोरि रहब दिन चारी
एहि प्रकार गत बासर सोऊ प्रात नहान लाग सबु कोऊ
करि मज्जनु पूजहिं नर नारी गनप गौरि तिपुरारि तमारी
रमा रमन पद बंदि बहोरी बिनवहिं अंजुलि अंचल जोरी
राजा रामु जानकी रानी आनँद अवधि अवध रजधानी