तलफत मीन मलीन जनु सींचत सीतल बारि
धरि धीरजु उठी बैठ भुआलू कहु सुमंत्र कहँ राम कृपालू
कहाँ लखनु कहँ रामु सनेही कहँ प्रिय पुत्रबधू बैदेही
बिलपत राउ बिकल बहु भाँती भइ जुग सरिस सिराति न राती
तापस अंध साप सुधि आई
कौसल्यहि सब कथा सुनाई
भयउ बिकल बरनत इतिहासा
राम रहित धिग जीवन आसा
सो तनु राखि करब मैं काहा जेंहि न प्रेम पनु मोर निबाहा
हा रघुनंदन प्रान पिरीते तुम्ह बिनु जिअत बहुत दिन बीते
हा जानकी लखन हा रघुबर हा पितु हित चित चातक जलधर
राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम
तनु परिहरि रघुबर बिरहँ राउ गयउ सुरधाम
सो तनु राखि करब मैं काहा जेंहि न प्रेम पनु मोर निबाहा
हा रघुनंदन प्रान पिरीते तुम्ह बिनु जिअत बहुत दिन बीते
हा जानकी लखन हा रघुबर हा पितु हित चित चातक जलधर
राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम
तनु परिहरि रघुबर बिरहँ राउ गयउ सुरधाम