Sunday, July 8, 2007

तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं दूसर हेतु तात कछु नाहीं

धीरजु धरेउ कुअवसर जानी सहज सुह्द बोली मृदु बानी
तात तुम्हारि मातु बैदेही पिता रामु सब भाँति सनेही
अवध तहाँ जहँ राम निवासू तहँइँ दिवसु जहँ भानु प्रकासू
जौ पै सीय रामु बन जाहीं अवध तुम्हार काजु कछु नाहिं
गुर पितु मातु बंधु सुर साई सेइअहिं सकल प्रान की नाईं
रामु प्रानप्रिय जीवन जी के स्वारथ रहित सखा सबही कै
पूजनीय प्रिय परम जहाँ तें सब मानिअहिं राम के नातें
अस जियँ जानि संग बन जाहू लेहु तात जग जीवन लाहू
पुत्रवती जुबती जग सोई रघुपति भगतु जासु सुतु होई

तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं दूसर हेतु तात कछु नाहीं