Monday, February 11, 2008

आवत पंथ कबंध निपाता

आवत पंथ कबंध निपाता 
तेहिं सब कही साप कै बाता
दुरबासा मोहि दीन्ही सापा 
प्रभु पद पेखि मिटा सो पापा
सुनु गंधर्ब कहउँ मै तोही 
मोहि सोहाइ ब्रह्मकुल द्रोही
मन क्रम बचन कपट तजि जो कर भूसुर सेव
मोहि समेत बिरंचि सिव बस ताकें सब देव
सापत ताड़त परुष कहंता 
बिप्र पूज्य अस गावहिं संता
पूजिअ बिप्र सील गुन हीना 
सूद्र गुन गन ग्यान प्रबीना
कहि निज धर्म ताहि समुझावा 
निज पद प्रीति देखि मन भावा
रघुपति चरन कमल सिरु नाई 
गयउ गगन आपनि गति पाई
ताहि देइ गति राम उदारा