Sunday, September 23, 2007

जब जब रामु अवध सुधि करहीं तब तब बारि बिलोचन भरहीं

जब जब रामु अवध सुधि करहीं तब तब बारि बिलोचन भरहीं
सुमिरि मातु पितु परिजन भाई भरत सनेहु सीलु सेवकाई
कृपासिंधु प्रभु होहिं दुखारी धीरजु धरहिं कुसमउ बिचारी
लखि सिय लखनु बिकल होइ जाहीं जिमि पुरुषहि अनुसर परिछाहीं