Thursday, May 31, 2007

बिनु फर बान राम तेहि मारा सत जोजन गा सागर पारा

प्रात कहा मुनि सन रघुराई निर्भय जग्य करहु तुम्ह जाई
होम करन लागे मुनि झारी आपु रहे मख कीं रखवारी
सुनि मारीच निसाचर क्रोही लै सहाय धावा मुनिद्रोही
बिनु फर बान राम तेहि मारा सत जोजन गा सागर पारा
पावक सर सुबाहु पुनि मारा अनुज निसाचर कटकु सँघारा
मारि असुर द्विज निर्भयकारी अस्तुति करहिं देव मुनि झारी
तहँ पुनि कछुक दिवस रघुराया रहे कीन्हि बिप्रन्ह पर दाया
भगति हेतु बहु कथा पुराना कहे बिप्र जद्यपि प्रभु जाना