राम दरस हित नेम ब्रत लगे करन नर नारि
मनहुँ कोक कोकी कमल दीन बिहीन तमारि
सीता सचिव सहित दोउ भाई सृंगबेरपुर पहुँचे जाई
उतरे राम देवसरि देखी कीन्ह दंडवत हरषु बिसेषी
गंग सकल मुद मंगल मूला सब सुख करनि हरनि सब सूला
कहि कहि कोटिक कथा प्रसंगा रामु बिलोकहिं गंग तरंगा
सचिवहि अनुजहि प्रियहि सुनाई बिबुध नदी महिमा अधिकाई
मज्जनु कीन्ह पंथ श्रम गयऊ सुचि जलु पिअत मुदित मन भयऊ
सुमिरत जाहि मिटइ श्रम भारू तेहि श्रम यह लौकिक ब्यवहारू
सुध्द सचिदानंदमय कंद भानुकुल केतु
चरित करत नर अनुहरत संसृति सागर सेतु
मनहुँ कोक कोकी कमल दीन बिहीन तमारि
सीता सचिव सहित दोउ भाई सृंगबेरपुर पहुँचे जाई
उतरे राम देवसरि देखी कीन्ह दंडवत हरषु बिसेषी
गंग सकल मुद मंगल मूला सब सुख करनि हरनि सब सूला
कहि कहि कोटिक कथा प्रसंगा रामु बिलोकहिं गंग तरंगा
सचिवहि अनुजहि प्रियहि सुनाई बिबुध नदी महिमा अधिकाई
मज्जनु कीन्ह पंथ श्रम गयऊ सुचि जलु पिअत मुदित मन भयऊ
सुमिरत जाहि मिटइ श्रम भारू तेहि श्रम यह लौकिक ब्यवहारू
सुध्द सचिदानंदमय कंद भानुकुल केतु
चरित करत नर अनुहरत संसृति सागर सेतु