Sunday, July 29, 2007

प्रात प्रातकृत करि रधुसाई तीरथराजु दीख प्रभु जाई

तब गनपति सिव सुमिरि प्रभु नाइ सुरसरिहि माथ
सखा अनुज सिया सहित बन गवनु कीन्ह रधुनाथ

तेहि दिन भयउ बिटप तर बासू लखन सखाँ सब कीन्ह सुपासू
प्रात प्रातकृत करि रधुसाई तीरथराजु दीख प्रभु जाई
सचिव सत्य श्रध्दा प्रिय नारी माधव सरिस मीतु हितकार
चारि पदारथ भरा भँडारु पुन्य प्रदेस देस अति चारु
छेत्र अगम गढ़ु गाढ़ सुहावा सपनेहुँ नहिं प्रतिपच्छिन्ह पावा
सेन सकल तीरथ बर बीरा कलुष अनीक दलन रनधीरा
संगमु सिंहासनु सुठि सोहा छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा
चवँर जमुन अरु गंग तरंगा देखि होहिं दुख दारिद भंगा

सेवहिं सुकृति साधु सुचि पावहिं सब मनकाम|
बंदी बेद पुरान गन कहहिं बिमल गुन ग्राम

को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ
अस तीरथपति देखि सुहावा सुख सागर रघुबर सुखु पावा
कहि सिय लखनहि सखहि सुनाई श्रीमुख तीरथराज बड़ाई
करि प्रनामु देखत बन बागा कहत महातम अति अनुरागा
एहि बिधि आइ बिलोकी बेनी सुमिरत सकल सुमंगल देनी
मुदित नहाइ कीन्हि सिव सेवा पुजि जथाबिधि तीरथ देवा