मागु मागु पै कहहु पिय कबहुँ न देहु न लेहु
देन कहेहु बरदान दुइ तेउ पावत संदेहु
देन कहेहु बरदान दुइ तेउ पावत संदेहु
झूठेहुँ हमहि दोषु जनि देहू दुइ कै चारि मागि मकु लेहू
रघुकुल रीति सदा चलि आई प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई
सुनहु प्रानप्रिय भावत जी का देहु एक बर भरतहि टीका
मागउँ दूसर बर कर जोरी पुरवहु नाथ मनोरथ मोरी
तापस बेष बिसेषि उदासी चौदह बरिस रामु बनबासी
मागउँ दूसर बर कर जोरी पुरवहु नाथ मनोरथ मोरी
तापस बेष बिसेषि उदासी चौदह बरिस रामु बनबासी
कवनें अवसर का भयउ गयउँ नारि बिस्वास
जोग सिद्धि फल समय जिमि जतिहि अबिद्या नास
जोग सिद्धि फल समय जिमि जतिहि अबिद्या नास