तुलसी जसि भवतब्यता तैसी मिलइ सहाइ
आपुनु आवइ ताहि पहिं ताहि तहाँ लै जाइ
आपुनु आवइ ताहि पहिं ताहि तहाँ लै जाइ
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि
कृपासिंधु मुनि दरसन तोरें चारि पदारथ करतल मोरे
प्रभुहि तथापि प्रसन्न बिलोकी मागि अगम बर होउँ असोकी
जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ
एकछत्र रिपुहीन महि राज कलप सत होउ
कह तापस नृप ऐसेइ होऊ कारन एक कठिन सुनु सोऊ
कालउ तुअ पद नाइहि सीसा एक बिप्रकुल छाड़ि महीसा
तपबल बिप्र सदा बरिआरा तिन्ह के कोप न कोउ रखवारा
जौं बिप्रन्ह बस करहु नरेसा तौ तुअ बस बिधि बिष्नु महेसा
चल न ब्रह्मकुल सन बरिआई सत्य कहउँ दोउ भुजा उठाई
बिप्र श्राप बिनु सुनु महिपाला तोर नास नहि कवनेहुँ काला
हरषेउ राउ बचन सुनि तासू नाथ न होइ मोर अब नासू
तव प्रसाद प्रभु कृपानिधाना मो कहुँ सर्ब काल कल्याना
एवमस्तु कहि कपटमुनि बोला कुटिल बहोरि
मिलब हमार भुलाब निज कहहु त हमहि न खोरि
एकहिं डर डरपत मन मोरा
प्रभुहि तथापि प्रसन्न बिलोकी मागि अगम बर होउँ असोकी
जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ
एकछत्र रिपुहीन महि राज कलप सत होउ
कह तापस नृप ऐसेइ होऊ कारन एक कठिन सुनु सोऊ
कालउ तुअ पद नाइहि सीसा एक बिप्रकुल छाड़ि महीसा
तपबल बिप्र सदा बरिआरा तिन्ह के कोप न कोउ रखवारा
जौं बिप्रन्ह बस करहु नरेसा तौ तुअ बस बिधि बिष्नु महेसा
चल न ब्रह्मकुल सन बरिआई सत्य कहउँ दोउ भुजा उठाई
बिप्र श्राप बिनु सुनु महिपाला तोर नास नहि कवनेहुँ काला
हरषेउ राउ बचन सुनि तासू नाथ न होइ मोर अब नासू
तव प्रसाद प्रभु कृपानिधाना मो कहुँ सर्ब काल कल्याना
एवमस्तु कहि कपटमुनि बोला कुटिल बहोरि
मिलब हमार भुलाब निज कहहु त हमहि न खोरि
एकहिं डर डरपत मन मोरा
प्रभु महिदेव श्राप अति घोरा
होहिं बिप्र बस कवन बिधि कहहु कृपा करि सोउ
तुम्ह तजि दीनदयाल निज हितू न देखउँ कोउ
बोले बिप्र सकोप तब नहिं कछु कीन्ह बिचार
जाइ निसाचर होहु नृप मूढ़ सहित परिवार
छत्रबंधु तैं बिप्र बोलाई घालै लिए सहित समुदाई
ईस्वर राखा धरम हमारा जैहसि तैं समेत परिवारा
संबत मध्य नास तव होऊ जलदाता न रहिहि कुल कोऊ
जाइ निसाचर होहु नृप मूढ़ सहित परिवार
छत्रबंधु तैं बिप्र बोलाई घालै लिए सहित समुदाई
ईस्वर राखा धरम हमारा जैहसि तैं समेत परिवारा
संबत मध्य नास तव होऊ जलदाता न रहिहि कुल कोऊ
भूपति भावी मिटइ नहिं जदपि न दूषन तोर
किएँ अन्यथा होइ नहिं बिप्रश्राप अति घोर
किएँ अन्यथा होइ नहिं बिप्रश्राप अति घोर
भरद्वाज सुनु जाहि जब होइ बिधाता बाम
धूरि मेरुसम जनक जम ताहि ब्यालसम दाम
धूरि मेरुसम जनक जम ताहि ब्यालसम दाम
काल पाइ मुनि सुनु सोइ राजा
भयउ निसाचर सहित समाजा
दस सिर ताहि बीस भुजदंडा
दस सिर ताहि बीस भुजदंडा
रावन नाम बीर बरिबंडा
भूप अनुज अरिमर्दन नामा
भूप अनुज अरिमर्दन नामा
भयउ सो कुंभकरन बलधामा
सचिव जो रहा धरमरुचि जासू
सचिव जो रहा धरमरुचि जासू
भयउ बिमात्र बंधु लघु तासू
नाम बिभीषन जेहि जग जाना
नाम बिभीषन जेहि जग जाना
बिष्नुभगत बिग्यान निधान