Friday, December 21, 2007

करि पितु क्रिया बेद जसि बरनी भे पुनीत पातक तम तरनी

भोरु भएँ रघुनंदनहि जो मुनि आयसु दीन्ह
श्रद्धा भगति समेत प्रभु सो सबु सादरु कीन्ह

करि पितु क्रिया बेद जसि बरनी भे पुनीत पातक तम तरनी
जासु नाम पावक अघ तूला सुमिरत सकल सुमंगल मूला
सुद्ध सो भयउ साधु संमत अस तीरथ आवाहन सुरसरि जस
सुद्ध भएँ दुइ बासर बीते।बोले गुर सन राम पिरीते
नाथ लोग सब निपट दुखारी कंद मूल फल अंबु अहारी
सानुज भरतु सचिव सब माता देखि मोहि पल जिमि जुग जाता
सब समेत पुर धारिअ पाऊ आपु इहाँ अमरावति राऊ
बहुत कहेउँ सब कियउँ ढिठाई उचित होइ तस करिअ गोसाँई
धर्म सेतु करुनायतन कस कहहु अस राम
लोग दुखित दिन दुइ दरस देखि लहहुँ बिश्राम