बिदा किए सिर नाइ सिधाए। प्रभु गुन कहत सुनत घर आए
एहि बिधि सिय समेत दोउ भाई बसहिं बिपिन सुर मुनि सुखदाई
जब ते आइ रहे रघुनायकु तब तें भयउ बनु मंगलदायकु
फूलहिं फलहिं बिटप बिधि नानामंजु बलित बर बेलि बिताना
सुरतरु सरिस सुभायँ सुहाए मनहुँ बिबुध बन परिहरि आए
गंज मंजुतर मधुकर श्रेनी त्रिबिध बयारि बहइ सुख देनी
नीलकंठ कलकंठ सुक चातक चक्क चकोर
भाँति भाँति बोलहिं बिहग श्रवन सुखद चित चोर
एहि बिधि सिय समेत दोउ भाई बसहिं बिपिन सुर मुनि सुखदाई
जब ते आइ रहे रघुनायकु तब तें भयउ बनु मंगलदायकु
फूलहिं फलहिं बिटप बिधि नानामंजु बलित बर बेलि बिताना
सुरतरु सरिस सुभायँ सुहाए मनहुँ बिबुध बन परिहरि आए
गंज मंजुतर मधुकर श्रेनी त्रिबिध बयारि बहइ सुख देनी
नीलकंठ कलकंठ सुक चातक चक्क चकोर
भाँति भाँति बोलहिं बिहग श्रवन सुखद चित चोर