Facets of Ramayana


Saturday, May 26, 2007

Hare Rama




Posted by Glory of Lord Rama at 1:42 AM
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Labels: hare rama
Newer Post Older Post Home

भगति हेतु बिधि भवन बिहाई सुमिरत सारद आवति धाई राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ
  • ईस्वर जीव भेद
  • अकथ कहानी
  • एक बार रघुनाथ बोलाए
  • पर हित सरिस धर्म नहिं भाई
  • नाथ भरत कछु पूँछन चहहीं
  • सीता पहिं जाई त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई
  • बोले लखन मधुर मृदु बानी
  • मैं जिमि कथा सुनी भव मोचनि सो प्रसंग सुनु सुमुखि सुलोचनि
  • गिरिजा कहेउँ सो सब इतिहासा मैं जेहि समय गयउँ खग पासा
  • तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा जानत प्रिया एकु मनु मोरा
  • मानस रोग
  • कलिजुग
  • छहूँ रितु
  • नर सहस्त्र महँ सुनहु पुरारी कोउ एक होइ धर्म ब्रतधारी
  • मैं जिमि कथा सुनी भव मोचनि सो प्रसंग सुनु सुमुखि सुलोचनि
  • गिरिजा कहेउँ सो सब इतिहासा मैं जेहि समय गयउँ खग पासा
  • सत संगति दुर्लभ संसारा निमिष दंड भरि एकउ बारा
  • जहँ भूप रमानिवास तहँ की संपदा किमि गाइए
  • काल बिबस पति कहा न माना अग जग नाथु मनुज करि जाना
  • गिरि कंदराँ सुनी संपाती
  • स्वयंप्रभा
  • एक बार कैसेहुँ सुधि जानौं कालहु जीत निमिष महुँ आनौं
  • राम बालि निज धाम पठावा
  • राम बालि निज धाम पठावा
  • मारा बालि राम तब
  • आगें चले बहुरि रघुराया रिष्यमूक परवत निअराया
  • अति दारुन दुखद मायारूपी नारि
  • एवमस्तु मुनि सन कहेउ कृपासिंधु रघुनाथ
  • पुनि प्रभु गए सरोबर तीरा
  • राखिअ नारि जदपि उर माहीं जुबती सास्त्र नृपति बस नाहीं
  • सबरी कें आश्रम पगु धारा
  • आवत पंथ कबंध निपाता
  • राम कहा तनु राखहु ताता
  • लछिमन गए बनहिं जब लेन मूल फल कंद
  • अत्रि के आश्रम जब प्रभु गयऊ
  • एक बार चुनि कुसुम सुहाए
  • प्रभु करि कृपा पाँवरीं दीन्हीं सादर भरत सीस धरि लीन्हीं
  • एकु मनोरथु बड़ मन माहीं सभयँ सकोच जात कहि नाहीं
  • राम सत्यब्रत धरम रत सब कर सीलु सनेहु संकट सहत सकोच बस कहिअ जो आयसु देहु
  • तापस बेष जनक सिय देखी भयउ पेमु परितोषु बिसेषी
  • मुनि बहुबिधि बिदेहु समुझाए रामघाट सब लोग नहा
  • सुनत जनक आगवनु सबु हरषेउ अवध समाजु रघुनंदनहि सकोचु बड़ सोच बिबस सुरराजु
  • उठे रामु सुनि पेम अधीरा कहुँ पट कहुँ निषंग धनु तीरा बरबस लिए उठाइ उर लाए कृपानिधान
  • सहसबाहु सुरनाथु त्रिसंकू केहि न राजमद दीन्ह कलंकू भरत कीन्ह यह उचित उपाऊ रिपु रिन रंच न राखब काऊ
  • जो अपराधु भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई
  • जो अपराधु भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई
  • सुनहु भरत हम झूठ न कहहीं उदासीन तापस बन रहहीं
  • तुम्ह कहँ भरत कलंक यह हम सब कहँ उपदेसु राम भगति रस सिद्धि हित भा यह समउ गनेसु
  • अरथ न धरम न काम रुचि गति न चहउँ निरबान जनम जनम रति राम पद यह बरदानु न आन
  • राम राम कहि जे जमुहाहीं तिन्हहि न पाप पुंज समुहाहीं
  • परिहरि रघुबर बिरहँ राउ गयउ सुरधाम
  • प्रान कंठगत भयउ भुआलू मनि बिहीन जनु ब्याकुल ब्यालू
  • जब जब रामु अवध सुधि करहीं तब तब बारि बिलोचन भरहीं
  • पूँछेहु मोहि कि रहौं कहँ मैं पूँछत सकुचाउँ जहँ न होहु तहँ देहु कहि तुम्हहि देखावौं ठाउँ
  • बालमीकि आश्रम प्रभु आए
  • तब प्रभु भरद्वाज पहिं आए करत दंडवत मुनि उर लाए
  • औरु करै अपराधु कोउ और पाव फल भोगु अति बिचित्र भगवंत गति को जग जानै जोगु
  • तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं दूसर हेतु तात कछु नाहीं
  • बड़भागी बनु अवध अभागी
  • काह न पावकु जारि सक का न समुद्र समाइ का न करै अबला प्रबल केहि जग कालु न खाइ
  • गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर
  • बिनु फर बान राम तेहि मारा सत जोजन गा सागर पारा
  • अनुज समेत देहु रघुनाथा निसिचर बध मैं होब सनाथा
  • समरथ कहुँ नहिं दोषु गोसाई रबि पावक सुरसरि की नाईं
  • तुरत भयउँ मैं काग तब पुनि मुनि पद सिरु नाइ

Labels

  • Atman Jnana
  • hare rama
  • अत्रि
  • अवध
  • आसुतोष तुम्ह अवढर दानी
  • कथा
  • कबंध
  • करमुद्रिका दीन्हि
  • कलिजुग
  • काग
  • गंग
  • गयउँ नारि बिस्वास
  • गीध
  • गौतम नारी
  • चित्रकूट
  • छहूँ रितु
  • जय गिरिबरराज किसोरी
  • जयंत
  • तत्व प्रेम
  • तुरत भयउँ मैं काग तब पुनि मुनि पद सिरु नाइ
  • तुलसी जसि भवतब्यता तैसी मिलइ सहाइ
  • धनुषजग्य
  • नारद श्राप दीन्ह एक बारा
  • नारि
  • प्रथम दिवस
  • प्रभु प्रगटे
  • प्रयाग
  • बड़भागी बनु अवध अभागी
  • बालमीकि
  • बिनु फर बान राम तेहि मारा
  • बिस्वामित्र
  • भरत
  • राम
  • राम मध्य धनु तोरा
  • रावण वध
  • संपाती
  • सबरी
  • समरथ कहुँ नहिं दोषु गोसाई
  • सरोबर पंपा
  • सिव साप
  • सीता
  • सीताराम
  • सुंदरकांड
  • स्वयंप्रभा
  • स्वायंभू मनु
  • हनुमान





About Me

My photo
Glory of Lord Rama
उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध निज प्रभुमय देखहिं जगत केहि सन करहिं बिरोध- साधु अवग्या कर फलु ऐसा जरइ नगर अनाथ कर जैसा- साधु अवग्या तुरत भवानी कर कल्यान अखिल कै हानी
View my complete profile


Watermark theme. Powered by Blogger.